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8 ऐसी भारतीय महिलाएं जिनके जीवन से हमे प्रेरणा लेनी चाहिए

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जिंदगी में सदैव आगे बढ़ने के लिए, सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए हमें सफल लोंगो के जीवन चरित्रों से सीख लेने की महती आवश्यकता है, ऐसी सफल महिलाओं का संक्षिप्त विवरण निम्नवत है ।

मैरी कॉम

मैरीकॉम ऐसी अकेली भारतीय महिला बॉक्सर हैं जिन्होंने 2012 में हुए ओलम्पिक में क्वालीफाई किया था तथा कांस्य पदक हासिल किया । पहली बार कोई भारतीय बॉक्सर महिला यहाँ तक पहुँची । इसके अलावा वे पांच बार विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप की विजेता रह चुकी हैं ।

मैरी कॉम ने मन में ठान लिया था कि वे अपने लक्ष्य तक जरूर पहुचेंगी, चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े । उन्हें बहुत ही जल्दी सीखने वाली विद्यार्थी के रूप में जाना जाता है । मैरी ने अनेक पुरस्कार जीते हैं . जैसे एशियन महिला मुक्केबाज़ी, एशियन इंडोर गेम्स, इत्यादि ।

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भक्ति शर्मा

भारतीय तैराक भक्ति शर्मा ने अंटार्कटिका महासागर में महज़ 52 मिनट में 1.4 मील तैरकर विश्व कीर्तिमान बनाया है। जिस वक्त वह तैर रही थी, उस वक़्त का तापमान 1 डिग्री सेल्सियस था । यह सुकार्य करते ही वे विश्व की सबसे युवा तैराक बन गई । भक्ति ने विश्व के 5 महासागरों में तैरने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है । 2010 में उन्हें तेनज़िंग नार्वे पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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हर्षिणी कान्हेकर

हर्षिणी भारत की पहली महिला फायर फाइटर है । बताया जाता है कि एक बार वे अपने पिता के साथ संस्थान में फॉर्म भरने गई थीं लेकिन वहाँ मौजूद लोगों ने इनका फॉर्म अलग रख दिया था । बस उसी दिन इन्होंने निश्चय कर लिया था कि ण्ण्ण्नौकरी करनी है तो बस यहीं करनी है । 1956 के बाद . नेशनल फायर सर्विस कॉलेज ण्ण्ण्में किसी महिला का प्रवेश हुआ था । सब लोग चाहते थे कि . वे कॉलेज छोड़कर चली जाय । परन्तु हर्षिणी ने मन में ठान लिया था कि किसी भी कीमत पर यह कोर्स पूरा करके ही रहूंगी।

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साइना नेहवाल

साइना का जन्म 17 मार्च 1990 को हुआ । दुनिया की शीर्ष वरीयता प्राप्त महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनने वाली, वे प्रथम भारतीय महिला हैं । लंदन ओलंपिक 2012 में साइना ने इतिहास रचते हुए बैडमिंटन की एकल स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया। साइना को लेकर उनकी माँ की महत्वकांक्षा का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी मां ने जन्म से पहले ही उनका नाम स्टेफी सोच लिया था । साइना मानती हैं कि आगे बढ़ने की इच्छा शक्ति मां के कारण ही आई थी ।

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हिमा दास

हिमा दास हिंदुस्तान की ऐसी एथलीट हैँ जिन्होंने मात्र अट्ठारह वर्ष की आयु में ही आई ए एफ अंडर 20 में एथलेटिक्स में महिलाओं की 400 मीटर दौड़ में शीर्ष स्थान प्राप्त किया और स्वर्ण पदक अपने नाम किया । भारत के लिए इस मानक पर स्वर्ण पदक जीतने वाली अकेली महिला खिलाड़ी हैं । हिमा एक मेहनती खिलाड़ी हैं, जिन्होंने कम समय में ही अपार उपलब्धियां प्राप्त कर लीं हैं । आने वाले दिनों में ये देश का नाम और रोशन करेंगी ।

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तानिया सचदेव

तानिया एक शतरंज खिलाड़ी हैं। इन्होंने शतरंज के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय मास्टर, आई ऍम और महिला ग्रैंड मास्टर डब्लू जी ऍम के ऍफ़ आई डी ए का खिताब अपने नाम की हुई हैं । तान्या का जन्म 20 अगस्त 1986 को दिल्ली में हुआ था । तान्या ने 6 वर्ष की अवस्था में ही अपनी माँ के साथ शतरंज खेलने लगी थी । सन 2002 में इन्होंने एशियाई जूनियर गर्ल्स चैंपियनशिप जीतीं और देश का नाम रोशन किया ।

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विद्या बालन

बॉलीवुड में विद्या अपने बेहतर अभिनय के लिए जानी जाती हैं। विद्या को एक राष्ट्रीय पुरस्कार और 5 बार फिल्मफेयर अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है । विद्या . भरत नाट्यम और कथक नृत्य में पूर्ण रूप से पारंगत हैं । ये 1 जनवरी 1978 को केरल में पैदा हुई । विद्या अपने फिल्मी करियर की शुरुआत मलयालम फ़िल्म से करने वाली थी लेकिन किसी वजह से फ़िल्म की शूटिंग शुरू न हो सकी, जिसका पूरा ठीकरा निर्देशक ने विद्या को अपशगुन कह कर उन पर फोड़ दिया ।

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रश्मि बंसल

एक प्रख्यात खगोल भौतिकी वैज्ञानिक की सुपुत्री रश्मि बंसल का बचपन टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फ़ण्डामेंटल रिसर्च में बीता है, यह दक्षिणी मुम्बई के अंतिम सिरे पर स्थित है। रश्मि अपने कॉलेज के दिनों से ही किताबें लिख रही हैं, और ऍम बी ए की पढ़ाई पूरी करते ही उन्होंने अपना प्रकाशन समूह जे ए ऍम भी खोल लिया था । अपनी कहानियों के लिए रश्मि बहु आयामी कथानकों की खोज में रहती हैं । इनकी महत्वपूर्ण पुस्तकें फॉलो एव्री रेनबो व अराइज़ अवेक इत्यादि हैं ।

उपरोक्त 8 प्रसिद्ध महिलाओं के जीवन चरितों से हमे सदैव आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है । इन महिलाओं ने तमाम समस्याओं के बावजूद अपने लक्ष्य से मुख नही मोड़ा । सदैव कर्म पथ पर अग्रसर रही।

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