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भारत की 10 शीर्ष महिला राजनेत्रियाँ

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भारतीय राजनीति में महिलाओं के समान और न्यायपूर्ण प्रतिनिधित्व की आवश्यकता ने देश के अंदर वकालत कर अपने अधिकार के लिए एक लंबी यात्रा तय की है। समय और समय से आगे ये वे वीर शक्तिशाली महिलाएँ हैं जिन्होंने लैंगिक विभेद (स्त्री-पुरूष समानता) के विरोध में लड़कर राजनीति में प्रवेश के लिए प्रेरणादायक मार्ग प्रशस्त किया। जैसा की भारत अपने आगामी चुनाव के लिए तैयार है। आइए एक दृष्टि डालते हैं, उन दस सीमा तोड़ने वाली महिलाओं पर जो भारत की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक हस्तियाँ हैं।

 

1. सोनिया गांधी- सोनिया गांधी का कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल सबसे लंबा
था। नेहरू गांधी परिवार के प्रतिष्ठित वंश की सदस्या, इस प्रखर महिला नेता ने 1998 में राजनीति में प्रवेश किया। 2006 में इन्होंने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का गठन किया। 2017 में अपना दायित्व अपने पुत्र राहुल गांधी को सौंपकर वह कांग्रेस के अध्यक्ष के पद से सेवानिवृत हो गईं।

 

2. मायावती- पी. वी. नरसिम्हा राव ने राजनीति में मायावती के उदय को लोकतंत्र के चमत्कार के रूप में वर्णित किया है। इस क्षेत्र में महिला के रूप में आवश्यकतानुसार उनके संघर्ष ने इन्हें और अपौरूषेय बना दिया। शुरूआत से ही विनम्र, खुशमिजाज मायावती का राजनीति से कोई संबंध नहीं था। हालांकि दलित राजनेता काशीराम ने उन्हें इस क्षेत्र में आने के लिए राजी किया। इन्होंने 1995 में उत्तर प्रदेश की प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में ऐतिहासिक जीत के साथ प्रसिद्धि पाई।

 

 

3. प्रतिभा पाटिल- 1962 में प्रतिभा पाटिल महाराष्ट्र विधानसभा की सदस्य के रूप में राजनीति में शामिल हुईं। गांधी परिवार के साथ उनकी भद्र शर्तों ने उन्हें 2006 में राष्ट्रपति पद का दायित्व निभाने में सक्षम बना दिया। उन्होंने 2007 से 2012 तक भारत के 12वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया और महिला सशक्तिकरण के पक्ष के समर्थन में आगे रहीं।

 

4. शीला दीक्षित- शीला दीक्षित के ससुर उमाशंकर दीक्षित केंद्रीय मंत्री होने के साथ-साथ नेहरू गांधी परिवार के करीबी सहयोगी थे। इंदिरा गांधी ने शीला की राजनीतिक क्षमता और जुनून को तब देखा जब वह अपने पिता के साथ-साथ काम कर रही थीं। अंततः वह दिल्ली की सबसे लंबे कार्यकाल तक कार्य करने वाली मुख्यमंत्री बन गईं। इस राजनेत्री ने भारत में महिलाओं की स्वतंत्रता और सम्मान की पर्याप्त सुरक्षा के विषय में समाज की भर्त्सना की है।

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