15 जनवरी 1956 को जन्मी मायावती बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इन्होंने चार बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभाली है। यह राजनीति का एक दृढ़ स्तंभ हैं। लोगों में इनके प्रधानमंत्री पद संभालने की भी चर्चा है। उनके प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के यह 6 प्रमुख कारण हैं।
1. अनुभव
मायावती चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। जिसमें उनका कार्यकाल दो बार 6 महीने, एक बार 18 महीने और एक बार 5 वर्ष रहा। उनके अनुसार अगर उन्हें प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला तो वह अपने अनुभव का प्रयोग केंद्र में सबसे अच्छी सरकार देने में करेंगी। उनके पास अनुभव है, उस अनुभव से लोगों के कल्याण का कार्य करेंगी। इसके लिए वह उत्तर प्रदेश का स्वरूप अपना कर सभी पहलू से एक सर्वश्रेष्ठ सरकार बनाने का प्रयास करेंगी। सभी स्तरों पर एक अच्छी सरकार।
2. गठबंधन
बहुजन समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मायावती ने आंध्रप्रदेश में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों में जनसेवा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के साथ गठबंधन किया। बसपा राज्य की 25 में से तीन लोकसभा और 175 विधानसभा में से 21 सीटों पर चुनाव लड़ा। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी से भी गठबंधन किया।
3. वंशवाद
एक राजनैतिक परिवार का हिस्सा न होने के कारण मायावती अपने राजनैतिक विरोधियों से ऊँचे स्थान पर हैं। लोकतांत्रिक भारत ऐसे वास्तविक नेताओं का हकदार है, जो जनता के बीच से आए हों न कि वो राजनीति को विरासत के रूप में प्रयोग कर रहे हों। गांधी परिवार, जिसकी तीन पीढ़ियों ने भारत पर प्रधानमंत्री के रूप में शासन किया, सार्वजनिक रूप से भाई-भतीजावाद की निंदा करते हैं लेकिन प्रचार के लिए अपने बहन और बहनोई को चुनते हैं। इसी तरह राज्य की विपक्षी समाजवादी पार्टी के नेता, मुलायम सिंह यादव ने भी वंशवाद का साथ देते हुए अपने पुत्र अखिलेश यादव को पार्टी का उत्तराधिकारी नियुक्त किया है।
4. राष्ट्रीय स्तर पर बदलाव
जन सेना प्रमुख पवन कल्याण के अनुसार मायावती का दावा है कि लोग राष्ट्रीय स्तर पर बदलाव चाहते हैं। लोग सत्ता में ऐसी पार्टी चाहते हैं जो उनके कल्याण का ध्यान रखे, उनकी बातें सुने और उनकी समस्याओं का समाधान करे। उनकी पार्टी ने 2014 के चुनाव भाजपा और कांग्रेस के बाद तीसरा सबसे बड़ा वोट बैंक हासिल किया। तीसरे मोर्चे की आवश्यकता पर उन्होंने बताया कि चुनाव परिणाम आने पर तीसरे मोर्चे की आवश्यकता स्पष्ट होगी।
5. अन्य पार्टियों द्वारा किए गए वादों को पूरा न करना
मायावती के अनुसार जनता ने उस पार्टी की सत्ता को नकार दिया जिसने अपने किए वादों को पूरा नहीं किया। पिछली बार भाजपा ने प्रत्येक गरीब परिवार को 15-20 लाख रूपए देने का वादा किया था तथा अन्य बड़े-बड़े वादे किए थे, जो पाँच वर्ष में पूरे नहीं हुए। फिर कांग्रेस ने चुनाव जीतने पर प्रति वर्ष 72,000 रूपए देने का वादा किया। मायावती के अनुसार कांग्रेस को याद रखना चाहिए कि स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने भी गरीबी हटाओ के नाम पर 20 सूत्री कार्यक्रम आरंभ किया था। क्या गरीबी हटी? गरीबी हटाने के लिए गरीबों को कार्य में निपुण करने की आवश्यकता है।
6. दलित जातियों का प्रतिनिधित्व
मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी का लक्ष्य है भारत की निचली और पिछड़ी जाति की सेवा और प्रतिनिधित्व करना। इस तबके के लोगों को सामाजिक और आर्थिक प्रगति की आवश्यकता है। इन्हें भी इनके मौलिक अधिकार मिलने चाहिए। यह कोई छोटा कार्य नहीं है। इसलिए भारत के दलित जानते हैं कि एक सक्षम नेता के रूप में मायावती ही एक ऐसी इंसान है जो राष्ट्रीय स्तर पर उनके हक के लिए लड़ सकती है।
इन कारणों की वजह से मायावती प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में सक्षम उम्मीदवार हैं।