बात जब डेटिंग की आती है तो एक ही संस्कृति से नहीं होने के कारण अनेक कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसके मूल में पश्चिम व्यक्तिवादी समाज की अधिकता है जो इस बात से चिंताग्रस्त है कि उनके समुदाय के स्थान पर उन्हें और उनकी व्यक्तिगत इच्छाओं को इससे क्या लाभ है। दूसरी ओर पूर्वी संस्कृतियाँ सामूहिक समाज पर आधारित हैं और अन्य कारनामों के स्थान पर आदर्शवादी लक्ष्यों के साथ होती है जिससे उनके पूरे समुदाय को क्या लाभ होगा। जिसे हम डेटिंग के नाम से जानते हैं वह हमारी संस्कृति को एक नया स्वरूप देती है। यहाँ पूर्व और पश्चिम की डेटिंग में बड़ा फर्क है।
1. साथी चुनना
पश्चिमी– पश्चिम में सही साथी का चुनाव दिखावे पर आधारित होता है चाहे आपको उस व्यक्ति के प्रेम में हो अथवा नहीं। लेकिन जब अंतिम चुनाव का समय आता है रोमांस प्रमुख हो जाता है। आर्थिक स्थिति की यहाँ कोई भूमिका नहीं है।
पूर्वी– पूर्वी संस्कृतियों में सामान्य तौर पर अभिभावक विवाह के लिए साथी का चुनाव करते हैं तथा निर्णायक कारकों को अनदेखा करते हैं। यहाँ तक की विवाह नियोजित नहीं है तो पारिवारिक स्थिरता तथा आर्थिक स्थिति, शाशीरिक आकर्षण के स्थान पर चुनाव की भूमिका आधारित करती है।
2. डेटिंग
पश्चिमी– कई लोगों से एक साथ डेटिंग करना यहाँ तक की विवाह से पूर्व कई लोगों से सामान्य रिश्ते रखना तथा महसूस करना एक आम बात है। इन परिस्थितियों में इनका लक्ष्य हमेशा विवाह करना नहीं रहता।
पूर्वी– अनेक पूर्वी संस्कृतियों में विवाह पूर्व मिलना पूर्णतया निशिद्ध है। विवाह से पूर्व लोगों से संयम रखने का अभ्यास करने की उम्मीद रखी जाती है।
3. विवाह-
पश्चिमी– अधिकांश जोड़े विवाह से पूर्व एक दूसरे के साथ एक लंबी अवधि बिता चुके होते तथा रात्रि भी साथ में व्यतीत कर चुके होते हैं। वे अपनी डेटिंग अवधि अपनी षर्तों पर व्यतीत कर अपने रिश्ते के भाग्य का निर्णय करते हैं जिसमें बच्चे भी षामिल हो सकते हैं या नहीं भी।
पूर्वी– अधिकतर पूर्वी विवाहों में अभिभावकों द्वारा विवाह की बैठकें आयोजित की जाती हैं और अपने बच्चों को एक दूसरे से मिलवाते हैं। विवाह के तुरंत बाद यह उम्मीद की जाती है कि उनके यहाँ बच्चे हों अथवा वह इस विषय पर सोचें।
4. महिला प्रभारी-
पश्चिमी– अमेरिकन और यूरोपियन लड़कियों में यह सामान्य बात होती है कि वे पूर्णतया स्वतंत्र होती हैं, उत्तरदायित्व लेना और पैंट पहनना आम बात है। अगर कोई महिला अपने साथी के अतिरिक्त बाहर कमाती है तो यह सामान्य और स्वीकार्य है।
पूर्वी– आमतौर पर यहाँ स्वतंत्रता की बात करें तो महिलाएँ पुरूशों के अधीन होती हैं। परिवार का उत्तरदायित्व निभाने का कार्य पुरूश का होता है। यहाँ महिलाओं की स्वतंत्रता को अच्छी निगाह से नहीं देखा जाता।
5. पी.डी.ए.-
पश्चिमी– आप पश्चिमी जोड़ों को अपना स्नेह दिखाने के लिए सार्वजनिक रूप से एक दूसरे का हाथ पकड़े, अपना स्नेह दिखाते या गले मिलते देख सकते हैं।
पूर्वी– पी.डी.ए. पूर्वी संस्कृतियों में असामान्य तथा अपमानजनक माना जाता है। विपरीत लिंगी को छूना अथवा स्नेह दिखाना निंदाजनक है।
6. ध्रुवीकरण विषयों पर चर्चा करना-
पश्चिमी– आमतौर पर इसे षुरूआती मुलाकातों में टाला जाता है। लेकिन पश्चिमी लोगों के लिए अपनी वर्जित और निजी राजनीति, यौन वरीयताओं तथा अन्य विषयों पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है।
पूर्वी– इन विषयों पर निश्चित रूप में चर्चा नहीं की जाती है। यह अस्वीकार्य है। इसे विद्रोह माना जाता है। आप अपने माता-पिता की राय ले सकते हैं।
7. अकेले रहना-
पश्चिमी– पश्चिमी लड़कियों के लिए विवाह से पहले अकेले रहना, या लड़कों और लड़कियों के साथ एक कमरे में समूह में रहना सामान्य बात है।
पूर्वी– यहाँ के देशों में शादी से पहले स्त्री और पुरूश का साथ रहना वर्जित है। एक महिला के लिए एक पुरूश के साथ एक कक्ष बाँटना सही नहीं है। सामान्य रूप में इन स्थितियों में वह विवाह से पूर्व की महिला के साथ कक्ष में रह सकती है।
8. समानता-
पश्चिमी– हम पश्चिम में समानता का अनुमान दो लोगों के लिंग के आधार पर उनके व्यक्तित्व के लक्षणों से लगाने की बात करते हैं। यह भी सिर्फ प्रमुख रूप में स्वाभाविक व्यक्तित्व के लिए है।
पूर्वी– आमतौर पर पूर्वी रिश्तों में पुरुष प्रधान होते हैं। जबकि महिलाएँ उनके अधीन होती हैं। अधिकांश निर्णय पुरूश लेते हैं जिससे कुछ लोगों को राहत मिलती है कि उन्हें निरंतर हालात से लड़ना नहीं पड़ता। अधीन महिलाओं के लिए यह परिस्थिति कठिन ह
9. व्यावहारिकता-
पश्चिमी- पश्चिम में प्रेम प्रभावी है और सर्वोच्च आसन पर आसीन है। यदि आप एक धनी व्यक्ति को तलाश रहे हैं तो आपको एक ‘गोल्ड डिगर’ माना जा सकता है।
पूर्वी- पूर्व में यदि आपको यह लगता है कि आप किसी के साथ अच्छा जीवन बिता सकते हैं तो प्रेम आवश्यक निर्धारित कारक नहीं है। हालांकि वेतन और कैरियर विकल्प हो सकता है। हालांकि पश्चिम में लोग इसे गोल्ड डिगर के रूप में मानते हैं। इसे पूर्वी पुरुष व्यावहारिक दृष्टि से देखते हैं जो कि एक प्रदाता की भूमिका निभाता है।