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बाधाओं को हराकर अग्रणी बनने वाली 6 भारतीय नारियाँ

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नारी जीवन का स्रोत तथा शक्ति का आदि रूप है। प्राचीन काल में वे पुरूषों के समान ही आदरणीय एवं प्रशंसनीय थीं। उन्हें पुरूषों के समान ही सभी अधिकार प्राप्त थे। परंतु मध्यकाल में उनकी स्थिति में गिरावट आई और वह अनेक कुरीतियों का शिकार हो गईं। स्वतंत्रता के पश्चात उनकी दशा में सुधार आया। हम आपको ऐसी ही छह महिलाओं के विषय में बताने जा रहे हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों और हर बाधा का सामना कर इस समाज में अपने लिए एक सम्मानित स्थान बनाया।

मैरी काॅम

प्रसिद्ध भारतीय महिला मुक्केबाज मैरी काॅम का जन्म 1 मार्च 1983 को मणिपुर के चुराचाँदपुर में हुआ। हाईस्कूल परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने के बाद उन्होंने विद्यालय छोड़ दिया और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय से परीक्षा दी। एक बार उन्होंने जब कुछ लड़कियों को लड़कों के साथ बाॅक्सिंग करते देखा तो उन्हें लगा कि वह बाॅक्सिंग क्यों नहीं कर सकतीं फिर उन्होंने बाॅक्सिंग सीखना आरंभ कर दिया। 2001 में पहली बार जीतने के बाद उन्होंने अनेक पदक और पुरस्कार जीते। उनका नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उनकी जीवनी पर एक फिल्म भी बनी है। जिसमें प्रियंका चोपड़ा ने मैरी काॅम की भूमिका अदा की है।

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किरण खेर

प्रसिद्ध चरित्र अभिनेता अनुपम खेर की पत्नी किरण खेर के नाम से कोई भी अपरिचित नहीं है। इनका जन्म 14 जून 1955 को पंजाब में हुआ था। इन्होंने चंडीगढ से ही पढ़ाई पूरी की तथा इंडियन थियेटर आॅफ पंजाब से स्नातक किया। इनका प्रथम विवाह उद्योगपति गौतम बेरी से हुआ। उनसे तलाक के पश्चात इन्होंने अनुपम खेर से विवाह किया। एक अभिनेत्री होने के साथ-साथ यह अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़ी हैं। इनका ‘लाडली’ अभियान भ्रूण हत्या के विरोध में था। इन्होंने कैंसर के लिए लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाया था। अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में वे उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी थीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में इन्होंने भाजपा प्रत्याशी के रूप में चंडीगढ में अपने विरोधियों को पराजित कर विजय प्राप्त की।

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किरण बेदी

9 जून 1949 को अमृतसर में जन्मी किरण बेदी भारत की पहली महिला आई.पी.एस. अधिकारी बनीं। इन्होंने दिल्ली, गोवा, चंडीगढ़ और मिजोरम में कार्य किया। इनके प्रयासों से महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों में कमी आई। इन्होंने यातायात पुलिस अधिकारी के रूप में एशियाई खेलों के समय यातायात व्यवस्था संभाली। नशीली दवाओं के विरोध में ‘नवज्योति इंडिया फाउंडेशन’ नामक अभियान चलाया। लेकिन इनके नाम और काम के साथ अनेक विवाद जुड़ गए इसलिए इन्होंने 2007 में ऐच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। यह अन्ना हजारे के आंदोलन में उनके साथ थीं। इन्होंने ‘आप की कचहरी’ नामक टी.वी. शो का संचालन किया। 2015 में यह भाजपा की सदस्या बन गईं। आज यह पडुचेरी की राज्यपाल हैं।

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इरोम शर्मिला

14 मार्च 1972 को जन्मी इरोम चानू शर्मिला मणिपुर की ख्याति प्राप्त मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। मालोम में असम के राइफल्स जवानों के द्वारा 10 बेगुनाह लोगों को मारे जाने के विरोध में इन्होंने भूख-हड़ताल कर दी। 4 नवंबर 2000 से 9 अगस्त 2016 तक 16 वर्ष यह भूख-हड़ताल पर रहीं। सरकार ने इन्हें गिरफ्तार कर नाक की नली से खाना देना आरंभ किया। 9 अगस्त 1916 को अपने संघर्ष के प्रति लोगों की बेरूखी देख इन्होंने अपना अनशन समाप्त कर दिया। और राजनीति में आने की घोषणा की।

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अरूणिमा सिन्हा

राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त फुटबाॅल खिलाड़ी अरूणिमा का जन्म 1988 में हुआ। 12 अप्रैल 2011 को देहरादून जाते समय कुछ अपराधियों ने चेन छीनने के प्रयास में उन्हें ट्रेन से फेंक दिया, जिसके कारण उन्हें अपने एक पैर से वंचित होना पड़ा। लेकिन अपूर्व साहस का परिचय देते हुए अरूणिमा ने जीवन से निराश हुए बिना माउंट एवरेस्ट की सबसे ऊँची चोटी पर पहुँचकर कीर्तिमान रचा। वह माउंट एवरेस्ट की चोटी चूमने वाली पहली दिव्यांग महिला बनीं।

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नीरजा भनोट

चंडीगढ़ में हरीश भनोट और रमा भनोट के यहाँ 7 सितंबर 1963 को नीरजा का जन्म हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा चंडीगढ़ में हुई और आगे की शिक्षा मुंबई में प्राप्त की। विवाह के पश्चात दहेज की वजह से दो मास पश्चात इनका संबंध विच्छेद हो गया। इसके पश्चात उन्होंने विमान परिचारिका के रूप में कार्य आरंभ किया। करांची जाने वाले विमान का अपहरण होने पर 17 घंटे पश्चात वह यात्रियों को बचाने के लिए आपात कालीन द्वार खोलने में कामयाब हो गईं। तीन बच्चों को बाहर निकालते समय वह आतंकवादियों की गोली का शिकार हो गईं। नीरजा की इस वीरता के लिए उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। जिस समय वह वीरगति को प्राप्त हुईं उनकी आयु मात्र 23 वर्ष थी। उनके ऊपर एक फिल्म भी बनी जिसमें सोनम कपूर नीरजा बनीं।

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